Tuesday, January 02, 2007

एक दिन सहचर तुम बिछुड़ोगे

एक दिन सहचर तुम बिछुड़ोगे।
सर्वभौम सिद्धान्त यही है,
मिलने का परिणाम यही है,
चाहे जीवन भर मत मानो पर
अंतिम संज्ञान यही है।
यदि बिगड़े हो तो संभलोगे,
यदि संभले हो तो बिछुड़ोगे।
एक दिन प्रियतम तुम बिछुड़ोगे।
अंत तक किसने साथ निभाया,
कोई ना अपना है ना पराया,
किसी ने मिटकर प्रेम दिया,
दूजे ने थोड़ा कर्ज चुकाया।
नहीं जुड़े यदि तत्वज्ञान से,
तो संभलोगे अतिशीघ्र जुड़ोगे।
एक दिन जीवन तुम बिछुड़ोगे।
नही किया यदि घृणा तो कर लो,
नही किया यदि प्रेम तो कर लो,
ये दुनिया अब फिर न मिलेगी,
मधु के रस से कटु अनुभव लो।
यह जीवन अरण्य है शिशुमन,
जिया करोगे, डरा करोगे।
एक दिन अनुभव तुम बिछुड़ोगे।
एक दिन परिचय तुम बिछुड़ोगे।
एक दिन सहचर तुम बिछुड़ोगे।

1 comment:

xyz said...

Unfolding the realities which life cladestinely attires....