पथिक तुम कितने दिन ठहरोगे?
था मधुमास तो बहुतेरे थे
मीत न अब कोई दीखता है
कठिन ग्रीष्म अब आने को है
आतुर आने को है विपदा,
प्रीत बढ़ाऊँ मीत बनोगे?
साथ निभाओ मैं न कहूँगा
यह तो झूठी ममता
पर जितना यह साथ रहे
रखो दुख सुख में समता
मै दुख दूँ तोह क्या सहलोगे?
चढ़ते सूरज का साथी होने
को सारा जग आतुर
मीत अगर विपदा मे फसता
तो अपनी को सब चातुर
क्षितिज में मेरे संग उतरोगे?
जी होगा तुम्हारा मिलने को,
जग तुम्को मुझसे काटेगा
अपने स्वारथ की पूर्ति हेतु
तेरा घनिष्ठ तुमको बाटेगा
क्या कटकर-बँटकर संभलोगे?
पथिक तुम कितने दिन ठहरोगे?
था मधुमास तो बहुतेरे थे
मीत न अब कोई दीखता है
कठिन ग्रीष्म अब आने को है
आतुर आने को है विपदा,
प्रीत बढ़ाऊँ मीत बनोगे?
साथ निभाओ मैं न कहूँगा
यह तो झूठी ममता
पर जितना यह साथ रहे
रखो दुख सुख में समता
मै दुख दूँ तोह क्या सहलोगे?
चढ़ते सूरज का साथी होने
को सारा जग आतुर
मीत अगर विपदा मे फसता
तो अपनी को सब चातुर
क्षितिज में मेरे संग उतरोगे?
जी होगा तुम्हारा मिलने को,
जग तुम्को मुझसे काटेगा
अपने स्वारथ की पूर्ति हेतु
तेरा घनिष्ठ तुमको बाटेगा
क्या कटकर-बँटकर संभलोगे?
पथिक तुम कितने दिन ठहरोगे?
1 comment:
Nice composition with some keen observations of life...Good start dude!
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